मैं से परे मैं के साथ !!!
मैं'एक आगाज़मैं'शंखध्वनि मैं'यज्ञवेदी मैं'प्रकृति मैं'वह अस्तित्व जो माँ को पुकारता है मैं'उद्घोष मैं'रिश्तों का पहला सूत्र ............. तो करते हैं मैं का आगाज़ हम ! मैं - रश्मि !यदि 'मैं'नहीं होना...
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मैं - तलाश के रास्ते परतलाशता है खुद को प्रश्न भी मैं उत्तर भी मैं मैं ही मैं का जौहरी मार्ग अवरुद्ध कर काँटे बिछाकर मैं को तराशता है मैं को ही गूंगा,बहरा बना मैं को हीरा बनाता है .....समय पर मैं गूंगा...
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आज मेरे साथ 'मैं'की असमंजसता लिए सौरभ रॉय हैं .... क्या यह मैं"मैं ही है या है कोई गुफा जहाँ समाधिस्थ कितने सवाल और जवाब हैं साँसें चलती हैं रुक जाती हैं पर मैं का पड़ाव अहर्निश अखंड यात्रा के साथ है...
View Articleमेरा ‘मैं’ ...
मैं एक यज्ञमैं ही यज्ञ की अग्नि मैं ही संकल्प मैं ही कर्ता मैं ही हर्ता मैं ही आहुति मैं प्राणवायु मैं मृत्यु की खामोश आहटें मैं शब्द मैं ख़ामोशी मैं रेखा मैं चित्र देखते देखते मैं ही एक खाली कैनवस...
View Articleअहम् ब्रह्मास्मि ...
मैं एक आग है,मैं पानी है,मैं तूफ़ान,मैं बौखलाहट,मैं घबराहटमैं ही जीतता है मैं ही हारता है मैं ही जुड़ता है मैं ही तोड़ता है मैं न चाहे तो एकता कैसी परिवर्तन कैसा दो मैं के एकाकार होने में सृष्टि है मैं...
View Articleमंजिल "मैं "ख़ुद ही बनूंगी !!
मैं'तो सबका अपना हैसूरज भी सबका एक हैमुमकिन है भाव एक से होंगे पर एक सूक्ष्म जुगनू से एहसास अलग होंगे एक मैं अहम् एक मैं समाहित एक मैं, मैं की तलाश में तो एक मैं कणों में ............... मैं की अपनी...
View Articleकरीब से मैं की सुनो तो ...
तुम मानो न मानोहम इसे स्वीकार करे न करे पर मैं मैं ही हूँ ... यह मैं मेरा अहम् नहीं मेरी पहचान है मैं हट जाऊँ दे दूँ अपनी आहुति तो रह क्या जाएगा !अस्तित्वहीन एक शरीर ...................
View Articleमैं का नहीं कभी भी अवसान होता !!!!
मैं - केवट हैतो मैं ही राम केवट को राम कह लो या राम को केवट .....मैं ही किनारे से बढ़ता है मैं के सहारे दूसरे किनारे पहुँचता है मैं चाह ले दुविधा तो मझदार मैं थाम ले अपने डगमगाते विचारों को तो किनारा...
View Articleक्यों कि मैं ...
मैं मृत्यु हूँमैं जीवन हूँ तुम जब तक समझ सको मैं बहुत कुछ हूँ मैं बन सकती हूँ तुम तुम स्वत्व को पहचान सको तो तुम भी मैं हो ................. निःसंदेह मैं कोई दंभ है ही नहीं दंभ तो प्रतिस्पर्धा है हम...
View Articleमैं - अनगिनत प्रश्न ?????
मैं स्त्री हूँ ............. या विद्यार्थी जिसके आगे प्रश्नों का चक्रव्यूह है सहनशीलता की रिसती दीवारें नतमस्तक से टपकता खून "उफ़" - मेरे शब्दकोश में नहीं चेहरे पर मुस्कान भीतर ख़ामोशी का प्रलाप...
View Articleमैं ....
मैं "एक आरम्भ है पर मैं "सर्वस्व नहीं - सर्वस्व एक मिश्रण है सर्वस्व तो ईश्वर भी नहीं भक्त नहीं तो ईश्वर कहाँ !ईश्वर सूत्रधार है जन्म लेता हर "मैं"प्रतिनिधि "मैं"पहली किरण है = हर आरम्भ का .... मैं...
View Article“मैं”.......एक विचार
मैं "एक पतली सुरंग से निकलने का मनोबल रखता है बिना किसी 'हम'केसफलता 'मैं'की होती है यदि 'मैं'विनम्र हुआ तो सौन्दर्य बरकरार अहंकार का नशा चढ़ते विनाश का कगार !मैं''सफलता है तो 'मैं 'मारक भी है 'मैं'का...
View Article'मैं 'अक्षर
एक सोच खुले आकाश में पतंग की तरहउड़ान भरती है गिद्ध सी प्रतिस्पर्द्धा उसके पेंच काटने को विद्युत् सी लपकती है सोच,महत्वकांक्षा,आविष्कार के आगे नफरत के दीमक पनपने लगते हैं और शमशान में चिताएँ जलती हैं...
View Articleमैंने थाम ली ऊँगली जब "मैं"की !!
मैंने देखा है 'मैं'को हर बार दिन के कोलाहल में चुप आधी रात को टहलता हुआ दीवारों पर अनकहे ख्यालों को उकेरता हुआ झूठ से स्वगत करता ...........................................'मैं'के साथ कोई 'हम'नहीं...
View Articleतलाश मेरे ‘मैं’ की ...
हम के हुजूम में सब 'मैं'होते हैंहम कोई आविष्कार नहीं करता हाँ वह 'मैं'को अन्धकार दे सकता है 'मैं'के कंधे पर हाथ रख सकता है 'मैं'की आलोचना कर सकता है ..............मकसद 'मैं'का होता है 'मैं'न चाहे तो...
View Article"मैं"का सफर भी !!!
'मैं'शंखनाद,ॐ की ध्वनि प्रतिध्वनि,रक्तबीज,रक्तदंतिका पाप-पुण्य महादेव की जटा से निःसृत गंगा धरती से लुप्तप्रायः होती गंगा मैं - क्षितिज रेत भी,जल भी, भ्रम भी … मैं- रश्मि प्रभा …………रेखा श्रीवास्तव...
View Articleतुमसे कहने को बहुत कुछ था मेरे पास !!!
'मैं'का अरण्य अर्गला है जिसमें तुम फँसे तो शोर है विचरण किया तो मुक्ति के गूढ़ अर्थ ……. मैं - रश्मि प्रभा शोर से शान्ति की ओर ……… अपने 'मैं'के अरण्य से निकलकर मैंने तुमसे बहुत कुछ कहना...
View Articleमेरा 'मैं' ...
रिक्तता,पूर्णता के मध्य अपने 'मैं'को बैसाखी बना चलता रहता है मेरा 'मैं' कभी स्तब्ध- कभी निःशब्द मुखर कभी चीत्कार करता,कभी शून्य में विलीन होता हर दिन एक नया 'मैं' 'मैं'से लड़कर मेरे आगे खड़ा रहता है और...
View Article‘मैं’ एक समस्यायें अनेक !!!
मैं'एक स्वीकार हैमैं भविष्य का शोध,मैं आगाज़,मैं विनाश मैं उपजाऊ, मैं बंज़र बंजरता सोच की - जो मैं'के व्यक्तित्व से जुड़ी होती है मैं'सकारात्मक न हो तो न कोई संरचना सम्भव है न ही पलायन !!!...
View Articleतलाश सम्पूर्ण की ...
'मैं' रश्मि प्रभा एक बार फिर आपके सामने हूँ ... कैलाश शर्मा जी के 'मैं'के साथ ... टुकड़े टुकड़े संचित करते जीवन में भूल जाते अस्तित्व सम्पूर्ण का,देखते केवल एक अंश जीवन का मान लेते उसको ही सम्पूर्ण सत्य...
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